हंसो हंसो, मस्ती मज़ाक! ( Joke's )
पत्नी (एकदम रिलैक्स होकर) : हो गया क्या, जो करना चाह रहो हो? जरा जल्दी करो, देर मत लगाओ, मुझे स्टूल की जरूरत है!
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(एक बार चंपू ट्रेन से अपने गांव जा रहा था)
टीटी : भाईसाहब, अपना टिकट दिखाओ।
चंपू : गरीब हैं साहब। चटनी और बासी रोटी खाते हैं।
टीटी : चलो, टिकट दिखाओ?
चंपू : गरीब आदमी हैं साहब। साग और दाल-रोटी खाते हैं।
टीटी गुस्से में : तो हम क्या गोबर खाते हैं?
चम्पू : बड़े आदमी हो साहब, खाते ही होगे।
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बढ़ती हुई महंगाई और घटती हुई कमाई को देखकर आधार कार्ड नहीं, बल्कि 'उधार कार्ड' की जरूरत महसूस हो रही है!
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जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे ! अर्थात इस गीत में कवि यह संदेश दे रहा है कि हे प्रिये, तुम्हारे मुंह कौन लगे?
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